Swadesh Darshan Scheme 2024: क्या है और इसके लाभ कैसे ले?

स्वदेश दर्शन योजना का परिचय

स्वदेश दर्शन योजना, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य देश के भीतर पर्यटन को प्रोत्साहित करना और विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक, और प्राकृतिक धरोहरों को बढ़ावा देना है। इसका प्राथमिक लक्ष्य देश के विविध और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों को दुनिया भर के पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत करना है। इस योजना के तहत, विभिन्न थीमैटिक पर्यटन सर्किट विकसित किए जाएंगे जो पर्यटकों को अनूठे और रोचक अनुभव प्रदान करेंगे।

स्वदेश दर्शन योजना का आधिकारिक लॉन्च 2014 में हुआ था, जिसे विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में क्रियान्वित किया जा रहा है। यह योजना न केवल पर्यटन को बढ़ावा देने का बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को भी सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसके माध्यम से सरकार का प्रयास है कि पर्यटन स्थलों का समग्र विकास करते हुए, आर्थिक विकास को गति दी जाए और रोजगार के अवसर पैदा किए जाएं।

स्वदेश दर्शन योजना 2.0 के अंतर्गत, थीमैटिक सर्किट्स जैसे कि बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, ट्राइबल सर्किट, और डेज़र्ट सर्किट बनाए जाएंगे। इन सर्किट्स के विकास के साथ ही वहां आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा, जिससे पर्यटकों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो। हवाई अड्डे से लेकर होटल, ट्रांसपोर्टेशन, और पयायन आकर्षण तक सभी को एकीकृत करके एक उत्कृष्ट पर्यटक अनुभव प्रदान किया जाएगा।

इस योजना के उद्देश्य हैं: पर्यटलिय स्थलों की पहुँच बढ़ाना, पर्यटन के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण, और स्थानीय ग्रामीण समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना। यह कहना गलत नहीं होगा कि स्वदेश दर्शन योजना एक स्थायी और समग्र पर्यटन विकास मॉडल के रूप में उभर रही है।

Swadesh Darshan Scheme के प्रमुख तत्व और विशेषताएँ

स्वदेश दर्शन योजना 2024 का उद्देश्य भारत के सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर स्थलों को संरक्षित करना और उन्हें पर्यटन की दृष्टि से विकसित करना है। इस योजना के अंतर्गत, विभिन्न थीम-बेस्ड सर्किट्स का निर्माण किया जाएगा। कुल मिलाकर, 15 से अधिक सर्किट्स बनाए जाएंगे, जिन्हें अभिनवता, सांस्कृतिक महत्व, और पर्यटन की सुविधाओं के आधार पर चयन किया गया है। ये सर्किट्स देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ते हुए क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देंगे।

योजना के तहत शामिल सर्किट्स में मुख्यतः बौद्ध सर्किट, रामायण सर्किट, कृष्णा सर्किट, आदिवासी सर्किट, इको-टूरिज्म सर्किट, हेरिटेज सर्किट, और नॉर्थ ईस्ट इण्डिया सर्किट शामिल हैं। ये सर्किट्स भारतीय संस्कृति, धरोहर, और धार्मिक स्थलों के आधार पर बनाए जाएंगे, जिससे देश के नागरिक और विदेशी पर्यटक इन स्थलों की अनूठी खूबसूरती और महत्त्व को पहचान सकें।

स्वदेश दर्शन योजना 2024 के लिए केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-2023 में 5500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस बजट से पर्यटन स्थलों के विकास, पर्यटन सुविधाओं की अपग्रेडेशन, और समग्र पर्यटन अनुभव को बेहतर बनाने में सहायता मिलेगी। साथ ही, स्वदेश दर्शन 2.0 की शुरुआत से इस योजना में प्रौद्योगिकी और डिजिटल समाधानों का भी प्रभावी उपयोग किया जाएगा, जिससे पर्यटन स्थलों की सर्विस क्वालिटी में सुधार हो सके।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के विभिन्न सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपदाओं को एकीकृत कर उन्हें पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाना है। स्वदेश दर्शन योजना के तहेत हर एक सर्किट में आधुनिक सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा, जैसे कि बेहतर सड़कें, स्वच्छता व्यवस्था, पर्यटकों के लिए हेल्प डेस्क, और आरामदायक ठहराव के प्रावधान। इस प्रकार यह योजना भारतीय पर्यटन क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाएगी।

Swadesh Darshan Scheme का लाभार्थी कैसे बने?

स्वदेश दर्शन योजना का उद्देश्य देशभर के पर्यटन स्थलों का विकास करना है। इसके लाभार्थी बनना अपेक्षाकृत सरल प्रक्रिया है, हालांकि कुछ शर्तें और आवश्यकताएं पूरी करनी पड़ती हैं। सबसे पहले, इस योजना का लाभ उठाने के लिए भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है। योजना का लक्ष्य विशेष रूप से उन लोगों को लाभ पहुंचाना है जो आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े क्षेत्रों से आते हैं, ताकि वे भी भारत के सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों का अनुभव कर सकें।

इस योजना के लिए आवेदन करने हेतु कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। सबसे पहले, पहचान पत्र (जैसे आधार कार्ड या पैन कार्ड) होना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त, आवेदक को निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिससे यह प्रमाणित हो सके कि वह भारतीय नागरिक है। छात्रों के लिए, शिक्षा संस्थान का जारी किया हुआ प्रमाण पत्र भी आवश्यक हो सकता है।

आवेदन की प्रक्रिया भी काफी सरल और सीधी है। सबसे पहले, उम्मीदवारों को स्वदेश दर्शन योजना के आधिकारिक पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र में व्यक्तिगत जानकारी, पहचान और निवास प्रमाण पत्र के छोटे विवरण भरने होते हैं। इसके अलावा, योजना के लिए वेबसाइट पर उपलब्ध गाइडलाइन्स पढ़ना और उसका पालन करना भी आवश्यक होगा।

स्वदेश दर्शन 2.0 के अंतर्गत आए नए नियमों और दिशा-निर्देशों को भी ध्यान में रखना होगा। यह योजना पहले से अधिक व्यापक और हर वर्ग के लोगों के लिए बनाई गई है। इसमें न केवल पर्यटन स्थलों का विकास किया गया है, बल्कि विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सर्किट्स का समावेश भी किया गया है। इस प्रकार, स्वदेश दर्शन योजना का लाभ प्राप्त करना अब पहले की तुलना में अधिक समावेश और पारदर्शिता के साथ संभव हो गया है।

पर्यटन सर्किटों का विवरण

स्वदेश दर्शन योजना का उद्देश्य भारत में पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करना है। इस योजना के तहत कई पर्यटन सर्किट विकसित किए गए हैं जो विभिन्न सांस्कृतिक, प्राकृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थानों को जोड़ते हैं।

एक प्रमुख सर्किट है ‘बौद्ध सर्किट’, जिसमें गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान शामिल हैं। इसमें लुम्बिनी (नेपाल), बोधगया (बिहार), सारनाथ (उत्तर प्रदेश) और कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) शामिल हैं। यह सर्किट उन लोगों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है जो बौद्ध धर्म में रुचि रखते हैं।

‘नॉर्थ-ईस्ट इंडिया सर्किट’ भी एक प्रमुख सर्किट है, जिसमें आठ पूर्वोत्तर राज्यों के प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता को प्रस्तुत किया गया है। यह सर्किट अरुणाचल प्रदेश के तवांग मठ, मणिपुर के लोकतक झील, मिजोरम के रेवाई गांव और नागालैंड के होर्नबिल फेस्टिवल जैसे स्थानों को शामिल करता है।

‘बैद्यनाथ धाम देवघर सर्किट’ झारखंड राज्य में स्थित है और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें बैद्यनाथ धाम, बासुकीनाथ और अन्य धार्मिक स्थलों को शामिल किया गया है।

नेचुरल वैलीज सर्किट, जिसमें कश्मीर और लद्दाख के हरे-भरे घाटियों और मनमोहक दृश्यों का समावेश है, प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श विकल्प है। इसमें गुलमर्ग, सोनमर्ग, और लेह-लद्दाख जैसे आकर्षक स्थल आते हैं।

ये पर्यटन सर्किट न केवल हमें भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर से परिचित कराते हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाते हैं। स्वदेश दर्शन 2.0 के तहत इन सर्किटों का और विस्तार और सुधार किया जाएगा ताकि पर्यटकों को और भी बेहतर सुविधाएँ मिल सकें।

Swadesh Darshan Scheme के वित्तीय लाभ

स्वदेश दर्शन योजना 2024 एक महत्वाकांक्षी पहल है जो भारतीय पर्यटन उद्योग के अनेक वित्तीय लाभ प्रदान करती है। इसका मुख्य उद्देश्य देश के विभिन्न पर्यटन सर्किट्स का विकास करना और उन्हें एक नए स्तर पर पहुँचाना है। यह योजना न केवल पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करती है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।

पर्यटन सर्किट्स के विकास से स्थानीय रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है। नए पर्यटन स्थल विकसित होने से वहां होटलों, रेस्तरां, गाइड सेवाओं, एवं अन्य सर्विस सेक्टर की मांग बढ़ती है। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार का अवसर मिलता है और उनके जीवन स्तर में सुधार होता है।

स्वदेश दर्शन 2.0 योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक पहलू विदेशी मुद्रा अर्जन है। जब देश में अधिक पर्यटक आते हैं, तो वे यहां खर्च करते हैं, जिससे विदेशी मुद्रा का आदान-प्रदान बढ़ता है। यह विदेशी मुद्रा सरकार और स्थानीय कारोबारियों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन जाती है, जिससे पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।

बढ़ी हुई पर्यटकों की संख्या से स्थानीय व्यवसायों, जैसे कि हस्तशिल्प, खाद्य व्यवसाय, एवं ट्रांसपोर्ट सेवाओं को भी विशेष रूप से लाभ होता है। इसका सीधा असर स्थानीय समुदायों की समृद्धि पर पड़ता है जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समान रूप से आर्थिक प्रगति होती है।

इसके अलावा, स्वदेश दर्शन योजना के तहत विभिन्न सर्किट्स के विकास से पर्यटन क्षेत्र में निवेश के अवसर भी बढ़ते हैं। सरकार और निजी क्षेत्र दोनों मिलकर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करते हैं, जिससे ना सिर्फ़ पर्यटन स्थलों का विकास होता है, बल्कि वहाँ की समग्र रचना भी बेहतर होती है।

इस तरह से, स्वदेश दर्शन योजना का अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे न केवल पर्यटन क्षेत्र को बल्कि पूरे देश को लाभ होता है। ये वित्तीय लाभ इस योजना को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी एक सफल पहल बनाते हैं।

Swadesh Darshan Scheme में स्थानीय समुदाय की भागीदारी

स्वदेश दर्शन योजना के तहत स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह योजना न केवल पर्यटन को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखती है, बल्कि इसके माध्यम से स्थानीय कारीगरों और व्यवसायों को भी संजीवनी प्रदान की जा रही है। इस योजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण और समर्थन कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई है, जिससे स्थानीय समुदाय को नई रोजगार और व्यापार अवसर प्राप्त होंगे।

स्वदेश दर्शन 2.0 के अंतर्गत स्थानीय उत्सव, कला, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक धरोहरों को बढ़ावा देने के विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसे सुनिश्चित करने के लिए, प्रशिक्षक और विशेषज्ञ स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को उनके कौशल को और निखारने हेतु प्रशिक्षण देंगे। इस प्रकार के प्रशिक्षण न केवल उनके पारंपरिक कौशल को अनमोल बनाएंगे, बल्कि उनके जीवन-यापन में भी सुधार करेंगे।

अनेक राज्यों में स्वदेश दर्शन योजना स्थानांतरित करने के साथ ही, विभिन्न स्थानीय व्यापारियों और छोटे उद्योगों को जुटाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। इसके माध्यम से स्थानीय समुदाय को वित्तीय सहायता और विपणन के अवसर प्राप्त होंगे, जिससे वे अपने उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार कर सकेंगे। उदाहरणस्वरूप, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इसका विशेष प्रभाव देखा गया है, जहां योजना के कारण स्थानीय कारीगरों को देश-दुनिया में पहचान मिली।

स्वदेश दर्शन योजना 2024 ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करने और उन्हें पर्यटन के मुख्यधारा में शामिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से स्थानीय उद्यमियों को भी समर्थन दिया जा रहा है। इस प्रकार, योजना ने न केवल स्थानीय धरोहरों को संरक्षित करने का कार्य किया है, बल्कि इसे आर्थिक विकास के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सिद्ध किया है।

सफलता की कहानियाँ

स्वदेश दर्शन योजना ने कई क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से सकारात्मक परिवर्तन लाते हुए स्थानीय निवासियों के जीवनस्तर में सुधार किया है और पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी की है। एक उत्कृष्ट उदाहरण असम का कामाख्या सर्किट है, जहां इस योजना के अंतर्गत विभिन्न विकास कार्य किए गए।

कामाख्या मंदिर, जो असम का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटक सुविधाओं और संरचनात्मक विकास में काफी सुधार हुआ है। सड़कों का विस्तार, पार्किंग सुविधाओं का निर्माण, आरामदायक प्रतीक्षालय और सूचना केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, आगंतुकों की संख्या में 30% की बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे स्थानीय व्यापार को भी भारी लाभ हुआ है।

मेघालय के शिलांग पीक सर्किट का भी उल्लेखनीय उदाहरण है। इस सर्किट को स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकसित किया गया, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है और पर्यटकों के स्वागत के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया। पुराने विश्रामगृहों को पुनरुद्धार किया गया और नए पर्यटक केंद्र बनाये गए। इसका सीधा लाभ स्थानीय लोगों को रोजगार के रूप में मिला। यहाँ के होटल और रेस्तरां में भी पर्यटकों के आगमन से भारी वृद्धि हुई है।

राजस्थान का पुष्कर सर्किट, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के लिए जाना जाता है, इसे भी स्वदेश दर्शन स्कीम के तहत उन्नत किया गया। यहाँ पर होने वाले पुष्कर मेले में आने वाले पर्यटक अब बेहतर सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। परिवहन सेवाओं में सुधार हुआ है और क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाया गया। स्थानीय हस्तकला बाजारों को भी मौलिकता और आकर्षकता प्रदान की गई है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिला है।

इन सफलताओं के आलोक में, यह स्पष्ट होता है कि स्वदेश दर्शन योजना ने प्रयोगात्मक रूप से पर्यटन क्षेत्र के सुधार और स्थानीय जीवनस्तर में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य को पूरा किया है।

अगले कदम और सरकार की दृष्टिकोण

स्वदेश दर्शन योजना सरकार के पर्यटन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है जिसे 2024 में नई विकास योजनाओं और सुधारों के साथ बढ़ावा दिया जाएगा। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य भारत के प्रमुख पर्यटक स्थलों को विश्वस्तरीय तर्ज पर विकसित करना है ताकि घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके।

सरकार ने स्वदेश दर्शन योजना 2024 के अंतर्गत विभिन्न नए सर्किट्स को शामिल करने का निर्णय लिया है जिससे विभिन्न राज्यों में पर्यटन का विकास समान रूप से हो सके। योजना नीति निर्माताओं द्वारा तैयार एक व्यापक रोडमैप का हिस्सा है, जिसमें स्थायी और स्थानीय समुदायों के समर्थन पर जोर दिया गया है। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि ये सर्किट स्थानीय संस्कृति, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य को समृद्ध करते हुए विकसित किए जाएं।

योजना में अगले कदम के रूप में, ‘स्वदेश दर्शन 2.0’ की शुरुआत की जा रही है, जिसके तहत समग्र पर्यटन अनुभव को बढ़ाने के लिए डिजिटल तकनीकों का समावेश किया जाएगा। इसमें स्मार्ट टिकटिंग, पर्यटक जानकारी ऐप्स, और वर्चुअल टूर जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। ये नवाचार न केवल पर्यटकों के लिए सुविधाजनक होंगे बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेंगे।

राज्य सरकारों के सहयोग से इस योजना को जमीनी स्तर पर अमल में लाया जाएगा। हर सर्किट के विकास के लिए विशेष समितियाँ गठित की जाएंगी, जो व्यापक अध्ययन और स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए परियोजनाएँ शुरू करेंगी। इसके साथ ही, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि पर्यटकों के लिए सुरक्षा और सुविधा में कोई कमी न हो।

अगले चरणों में ‘पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप’ का मॉडल विशेष रूप से उपयोग में लिया जाएगा। सरकार का दीर्घकालिक उद्देश्य है कि स्वदेश दर्शन योजना भारतीय पर्यटन को एक नए ऊंचाई तक पहुंचाए, जिससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को और सशक्त किया जा सके।

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