National Creche Scheme 2024: राष्ट्रीय क्रेच योजना क्या है?

परिचय

राष्ट्रीय क्रेच योजना 2024 का उद्देश्य भारत में कामकाजी माताओं को एक सम्मानित और सुरक्षित विकल्प प्रदान करना है, जिससे वे अपने बच्चों को सुरक्षित और पोषणकारी वातावरण में छोड़कर कार्यस्थल पर निर्बाध रूप से ध्यान केंद्रित कर सकें। इस योजना का केंद्रबिंदु 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों की देखभाल है। बच्चों के शुरुआती विकास के लिए यह योजना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान करती है, जहां उनके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

इस योजना का महत्व खासकर उन माताओं के लिए है जो संगठित या असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं और अपने बच्चों की उचित देखभाल के लिए चिंतित रहती हैं। राष्ट्रीय क्रेच योजना माताओं की इस चिंता को दूर करती है और उन्हें यह सुनिश्चित करने का साधन प्रदान करती है कि उनके बच्चे एक सुरक्षित और समुचित देखभाल वाले स्थान पर हैं।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य बाल स्वास्थ्य, पोषण, और शिक्षा का समन्वित विकास सुनिश्चित करना है। इसमें बच्चों को पोषणयुक्त आहार, स्वास्थ्य जांच, और शिक्षा संबंधी गतिविधियां प्रदान की जाती हैं, जिससे उनके समग्र विकास में सहायता मिल सके।

राष्ट्रीय क्रेच योजना के तहत स्थापित क्रेच केंद्रों में बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। ये केंद्र बच्चों के लिए खेलकूद, प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह योजना माताओं के मनोबल को बढ़ाने और उनके जीवन का गुणात्मक सुधार करने में भी सहायता करती है, जिससे वे गरीबी से मुक्त होकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकें।

इन सब के माध्यम से, राष्ट्रीय क्रेच योजना न केवल बच्चों के विकास में सहायक सिद्ध हो रही है, बल्कि यह समाज की महिलाओं को सशक्त बनाने के भी एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभर रही है।

National Creche Scheme का इतिहास

राष्ट्रीय क्रेच योजना, जिसे पूर्व में ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय क्रेच योजना‘ के नाम से जाना जाता था, भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। इस योजना का प्रारंभ 1 जनवरी 2017 से एक केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य कामकाजी माता-पिता के बच्चों को दिनभर की देखरेख और पोषण प्रदान करना है, जिससे माता-पिता को अपने कार्यस्थल पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सके।

‘राजीव गांधी राष्ट्रीय क्रेच योजना’ के तहत प्रारंभिक चरण में बच्चों की देखभाल के लिए क्रेच की स्थापना की गई। इस योजना का उद्देश्य था कि बच्चों के शारीरिक, मानसिक और शैक्षणिक विकास की आधारशिला रखी जाए। योजना के तहत बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में बढ़ने का मौका मिलता है। इसके साथ ही, योजना ने कामकाजी माता-पिता के जीवन को सरल और संतुलित बनाने का भी काम किया।

न्यू इंडिया की विचारधारा और बदलती सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस योजना का दायरा समय-समय पर विस्तार और बदलाव होता रहा है। 2017 में नीति आयोग और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने योजनाओं का संक्षिप्त अध्ययन किया और राष्ट्रीय क्रेच योजना के ढांचे को और अधिक सशक्त बनाने के सुझाव दिए। इसके उपरांत योजनाओं में विभिन्न सुधार और नीतिगत बदलाव किए गए, जिससे योजना की दक्षता और विस्तार में वृद्धि हुई।

समय के साथ, इस योजना को अतिरिक्त सुविधाएं और अधुनातन तकनीकों के साथ संयोजित किया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि राष्ट्रीय क्रेच योजना के तहत प्रत्येक बच्चा पोषण और शिक्षण की उचित सुविधाएं पा सके। इस योजना के तहत देशभर में क्रेच की संख्या बढ़ी और बच्चों के शारीरिक तथा मानसिक विकास के लिए नवीनतम संसाधनों और प्रशिक्षण मॉडलों का उपयोग किया गया।

National Creche Scheme की विशिष्टताएं

राष्ट्रीय क्रेच योजना, भारत सरकार द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य छोटे बच्चों की समग्र विकास और देखभाल सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत कई प्रमुख सुविधाएं और सेवाएं प्रदान की जाती हैं जो बच्चों के हित में विशेष रूप से डिज़ाइन की गई हैं।

सबसे पहले, राष्ट्रीय क्रेच योजना के तहत डेकेयर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं। इन सुविधाओं के माध्यम से कामकाजी माता-पिता को अपने बच्चों को एक सुरक्षित और पोषित वातावरण में छोड़ने की सुविधा मिलती है। पेशेवर प्रशिक्षकों और देखभालकर्ताओं द्वारा बच्चों को नियमित देखभाल और पर्याप्त ध्यान दिया जाता है जिससे माता-पिता निश्चिन्त होकर अपने कार्य में संलग्न रह सकते हैं।

प्रारंभिक प्रोत्साहन के रूप में बच्चों को पूर्व-विद्यालय शिक्षा प्रदान की जाती है। यह प्राथमिक शिक्षा के लिए बच्चों को तैयार करने में मदद करती है और उनकी मानसिक और शारीरिक विकास को प्रोत्साहित करती है। प्रारंभिक शिक्षा के माध्यम से बच्चे गणित, भाषा, और मोटर स्किल्स जैसे बुनियादी कौशल सिखते हैं जो उनकी शैक्षिक यात्रा के लिए आवश्यक होते हैं।

पूरक पोषण भी राष्ट्रीय क्रेच योजना का एक महत्वपूर्ण घटक है। योजना के अंतर्गत हर दिन बच्चों को पौष्टिक भोजन और स्नैक्स प्रदान किए जाते हैं जिससे उनके शारीरिक विकास में सहायता मिलती है। यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों को उनके विकास के आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो सकें।

इस योजना में वृद्धि निगरानी की भी सुविधा है जिसके तहत बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास की नियमित जाँच की जाती है। इससे बच्चों के किसी भी वृद्धि संबंधित समस्याओं को समय पर पहचाना जा सकता है और उचित कदम उठाए जा सकते हैं।

अंत में, स्वास्थ्य परीक्षण और टीकाकरण सेवाएं भी इस योजना का हिस्सा हैं। नियमित स्वास्थ्य जांच के जरिए बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी की जाती है और आवश्यक टीकाकरण किया जाता है, जिससे बच्चों को कई गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों का समग्र स्वास्थ्य और कल्याण सुरक्षित रहे।

राष्ट्रीय क्रेच योजना, जिसे राष्ट्रीय क्रेच स्कीम के नाम से भी जाना जाता है, का मुख्य उद्देश्य कामकाजी महिलाओं और उनके बच्चों की सुविधा के लिए उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करना है। इस योजना के तहत क्रेच संचालन के समय और अवधि को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट किया गया है ताकि लाभार्थियों को निर्बाध सेवाएं मिल सकें।

राष्ट्रीय क्रेच योजना का संचालन समय और अवधि

राष्ट्रीय क्रेच योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक क्रेच को महीने में न्यूनतम 26 दिनों और प्रतिदिन न्यूनतम 7.5 घंटे संचालन करना अनिवार्य है। संचालन के ये निश्चित समय बच्चे की दिनचर्या और महिलाओं की कार्यशैली को ध्यान में रखते हुए तय किए गए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कामकाजी महिलाएं अपने कार्यस्थल पर फोकस कर सकें, जबकि उनके बच्चे एक सुरक्षित और समृद्ध वातावरण में सुरक्षित रहें।

क्रेच खोलने का समय आमतौर पर सुबह 9:00 बजे से शाम 4:30 बजे तक होता है, लेकिन इसमें स्थान और आवश्यकताओं के अनुसार थोड़ी बहुत परिवर्तन हो सकती है। इस समयावधि के दौरान बच्चों को पोषणयुक्त भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।

योजना के अंतर्गत यह भी सुनिश्चित किया गया है कि क्रेच में आवश्यकतानुसार प्रशिक्षित स्टाफ हो, जो बच्चों की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हो। स्टाफ की मौजूदी और उनकी कुशलता बच्चों की देखभाल का एक महत्वपूर्ण पहलू रहती है।

यदि कोई विशेष घटना या परिस्थिति होती है जिसके कारण क्रेच के संचालन समय में परिवर्तन करना पड़ता है, तो इसकी जानकारी पूर्व में लाभार्थियों को दी जाती है। सतत संचालन और बच्चों की देखभाल में उच्च मानकों को बनाए रखना ही राष्ट्रीय क्रेच योजना का मुख्य उद्देश्य है।

राष्ट्रीय क्रेच योजना के तहत क्रेच की क्षमता और स्टाफिंग के लिए सख्त मापदंड निर्धारित किए गए हैं। प्रत्येक क्रेच में बच्चों की अधिकतम संख्या 25 होनी चाहिए, जिससे प्रत्येक बच्चे को पर्याप्त देखभाल और ध्यान मिल सके। यह सीमा यह सुनिश्चित करने के लिए है कि संसाधनों का प्रभावी उपयोग हो, और बच्चों का समुचित विकास और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

राष्ट्रीय क्रेच योजना के स्टाफिंग संरचना

इस योजना के अंतर्गत, क्रेच में स्टाफ की संरचना विशेष ध्यान देने योग्य है। एक प्रभावी और सुरक्षित देखभाल प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक क्रेच में 01 कार्यकर्ता और 01 सहयोगी अनिवार्य है। क्रेच कार्यकर्ता का मुख्य कार्य बच्चों की दैनिक देखभाल और उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखना होता है। इसके साथ ही, वह बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में मदद करने वाले कई गतिविधियों को संचालित करते हैं।

सहयोगी का कार्य सामाजिक और सहायक होता है, जैसे कि बच्चों को भोजन देना, साफ-सफाई, और अन्य संबंधित कार्यों में सहायता करना। दोनों ही स्टाफ सदस्यों का सामूहिक कार्य यह सुनिश्चित करता है कि क्रेच में बच्चों को सुरक्षित और पोषण युक्त वातावरण मिले।

राष्ट्रीय क्रेच योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक आहार, प्राथमिक शिक्षा और सामाजिक विकास का अवसर प्रदान करना है। स्टाफिंग संरचना और इसके मानकों का पालन करना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चों को उच्च गुणवत्ता की सेवाएं मिलें। यह सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मदद करता है महिलाओं को कार्यबल में सक्रिय रूप से शामिल होने में, उनके बच्चों की सुरक्षित देखभाल की व्यवस्था के माध्यम से।

इस प्रकार, राष्ट्रीय क्रेच योजना का प्रभावी कार्यान्वयन टॉप-क्वालिटी देखभाल सेवाओं और संसाधनों की उपयुक्त उपयोगिता को अनिवार्य बना देता है, जिससे बच्चों और उनके परिवारों दोनों को लाभ हो।

राष्ट्रीय क्रेच योजना (National Creche Scheme) के अंतर्गत विभिन्न आय वर्गों के लिए उपयोगकर्ता शुल्क की स्पष्टता और पारदर्शिता बरकरार रखते हुए समाज के हर वर्ग को ध्यान में रखा गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी परिवार अपने बच्चों की देखभाल और शिक्षा के लाभ उठा सकें, विभिन्न आर्थिक समूहों के लिए भिन्न-भिन्न शुल्क निर्धारित किए गए हैं।

BPL परिवारों के लिए शुल्क

उन परिवारों के लिए जो गरीबी रेखा से नीचे (BPL) आते हैं, राष्ट्रीय क्रेच योजना के अंतर्गत लाई जाने वाली सेवाएं लगभग मुफ्त हैं। इन परिवारों के लिए प्रतीकात्मक रूप से केवल 20/- रुपये प्रति माह का शुल्क निर्धारित किया गया है। इस मामूली राशि का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन परिवारों पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव न पड़े।

12,000/- रुपये तक आय वाले परिवारों के लिए

वे परिवार जिनकी मासिक आय 12,000/- रुपये तक है, उनके लिए उपयोगकर्ता शुल्क थोड़ा अधिक है, लेकिन फिर भी बेहद सस्ता और सुलभ है। इन परिवारों को प्रति माह 100/- रुपये का शुल्क अदा करना होता है। यह शुल्क संरचना इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर तय की गई है कि निम्न-आय वाले परिवार भी बच्चों की गुणवत्तापूर्ण देखभाल और शिक्षा के अवसरों से वंचित न हों।

12,000/- रुपये से अधिक आय वाले परिवारों के लिए

ऊच्च आय वर्ग के परिवार जिनकी मासिक आय 12,000/- रुपये से अधिक है, उन्हें प्रति माह 200/- रुपये का उपयोगकर्ता शुल्क देना होता है। यह शुल्क इस रूप से डिजाइन किया गया है कि इसे वह परिवार अधिक आसानी से वहन कर सकें जिनकी आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है।

सामुदायिक सहभागिता (community engagement) का भी इस योजना में महत्वपूर्ण योगदान है। स्थानीय समुदाय और स्वयंसेवी संगठनों की सहभागिता और सहयोग इस योजना को सफल बनाने में अत्यंत सहायक साबित होती है। यह सहभागिता न केवल योजनाओं के कार्यान्वयन में मददगार होती है, बल्कि समुदाय में जागरूकता बढ़ाने और समाज के सभी वर्गों को जोड़ने का भी काम करती है। इस तरह की सहभागिता से योजना की पारदर्शिता और भी बढ़ जाती है और सुनिश्चित होता है कि लाभ सभी तक पहुंचे।

देशव्यापी क्रेच्स की संख्या और राज्य स्तरीय स्थिति

राष्ट्रीय क्रेच योजना के तहत देश भर में क्रेच्स की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 2024 के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, संपूर्ण भारत में लगभग 23,000 से अधिक क्रेच्स का संचालन किया जा रहा है। यह योजना न सिर्फ कामकाजी माताओं के लिए सहायक सिद्ध हो रही है, बल्कि बच्चों की शिक्षा और पोषण पर सकारात्मक प्रभाव डाल रही है। योजना का उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण देखभाल और शिक्षा प्रदान करना है, जिसे केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कार्यान्वित कर रही हैं।

राज्य स्तरीय आंकड़ों पर नज़र डालें, तो केरल ने इस योजना में उल्लेखनीय योगदान दिया है। केरल में अभी तक लगभग 2,000 क्रेच्स का संचालन किया जा रहा है। यहां की राज्य सरकार ने राष्ट्रीय क्रेच योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है और क्रेच्स की संख्या में तेजी से वृद्धि की है। राज्य में शिक्षा और पोषण संबंधी सुविधाओं की गुणवत्ता भी उच्च स्तर पर है। इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्य अभी भी अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जहां पर कामकाजी माता-पिता को अधिक सहायता की आवश्यकता है।

भारत के विभिन्न केंद्र शासित प्रदेशों में भी क्रेच्स की स्थिति तुलनात्मक रूप से मिलीजुली स्थिति में है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में लगभग 700 क्रेच्स चालू हैं, जबकि पुडुचेरी में यह संख्या अभी तक 100 से कम है। इन केंद्र शासित प्रदेशों में योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कैसे राज्य और केंद्र मिलकर कार्यान्वित और निगरानी करते हैं।

आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि राष्ट्रीय क्रेच योजना का विस्तार और क्रियान्वयन यथासंभव व्यापक है, परंतु राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच प्रगति में उच्च असमानता है। यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय क्रेच योजना के कार्यक्रमों और नीतियों को निरंतर अद्यतन और अनुकूलन की आवश्यकता है, जिससे पूरे देश में संतुलित विकास सुनिश्चित हो सके।

मॉनिटरिंग और मूल्यांकन प्रक्रिया

राष्ट्रीय क्रेच योजना (राष्ट्रीय क्रेच योजना) का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और मूल्यांकन एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है। राज्य सरकारों और यूटी अधिकारियों के साथ नियमित बैठकें आयोजित की जाती हैं, जिसमें योजना की प्रगति का विस्तृत विश्लेषण किया जाता है। इन बैठकों के दौरान, विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होती है, जैसे कि क्रेच की गुणवत्ता, बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति, और संचालन की चुनौतियाँ।

इसके अतिरिक्त, वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उच्च अधिकारियों और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के बीच संवाद स्थापित किया जाता है, जिससे तत्काल निर्णय और सुझाव प्राप्त होते हैं। यह प्रक्रिया राज्य स्तर पर जिला अधिकारियों और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को योजना के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं को हल करने में मदद करती है।

निगरानी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा क्षेत्रीय यात्राएं भी हैं। विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नियमित आधार पर क्षेत्रीय यात्रा की जाती है, जहां अधिकारियों द्वारा क्रेच केंद्रों का निरीक्षण किया जाता है। इस से योजनाओं की जमीनी हकीकत और उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाता है।

नीति आयोग द्वारा किए गए तीसरे पक्ष के मूल्यांकन को भी मॉनिटरिंग प्रक्रिया में शामिल किया गया है। यह स्वतंत्र मूल्यांकन योजना की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। ये मूल्यांकन रिपोर्टें नीति निर्माताओं को सुधार के लिए आवश्यक सुझाव प्रदान करती हैं और योजना की गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होती हैं।

इस प्रकार, राष्ट्रीय क्रेच योजना की मॉनिटरिंग और मूल्यांकन प्रक्रिया में राज्य सरकारों, यूटी अधिकारियों, नीति आयोग, और क्षेत्रीय निरीक्षण का महत्वपूर्ण योगदान है, जो योजना की गुणवत्ता और प्रभाव को निरंतर बनाए रखने में सहायक सिद्ध होता है।

Read: Rashtriya Poshan Maah

Leave a Comment