परिचय
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) 2024, जिसे ‘राष्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन मिशन’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है जिसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाता है। इस मिशन की स्थापना 2011 में की गई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों को स्थायी एवं स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है। इस मिशन का नेतृत्व ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन होता है, जिसमें केंद्रीय और राज्य सरकारें मिलकर काम करती हैं। इसके कार्यान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं और अन्य स्थानीय संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
इस मिशन की शुरुआत इसलिए की गई क्योंकि ग्रामीण निर्धनता और बेरोजगारी एक लंबे समय से भारतीय राष्ट्रीय विकास में बड़ी बाधा बनी हुई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के साधनों की कमी और कृषि पर अत्यधिक निर्भरता ने आर्थिक विषमता को बढ़ावा दिया। इसलिए, ग्रामीण जनों की आर्थिक स्थिति सुधारने और गरीबी उन्मूलन के लिए इस मिशन को प्रारंभ किया गया।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जनों को समूहबद्ध कर उन्हें वित्तीय सेवा, कौशल विकास, और बाजार क्षेत्र के साथ जोड़कर उनकी जीविका को सुदृढ़ करना है। महिलाओं को विशेष ध्यान में रखते हुए इस मिशन ने स्वयं सहायता समूह (SHG) मॉडल को भी अपनाया है, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें और आर्थिक सशक्तिकरण हासिल कर सकें।
विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन आर्थिक असमानताओं को कम करने और ग्रामीण समाज की समृद्धि को बढ़ावा देने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। इसके द्वारा ग्रामीण जन अपने आय स्रोतों को विस्तृत करने और सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत आने वाली सेवाओं का लाभ उठाने में सक्षम हो रहे हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM), जिसे राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार और जीवनयापन के अवसरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, ने ग्रामीण क्षेत्रों में कई अनेक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया है। इसका प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को सशक्त बनाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के माध्यम से, NRLM का लक्ष्य है कि ग्रामीण परिवार अपनी आजीविका को स्थिर और सुरक्षित बना सकें।
गरीबी उन्मूलन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य है। यह मिशन गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को वित्तीय सहायता और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करके उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का प्रयास करता है। इसके माध्यम से ग्रामीण गरीबों को ऐसे संसाधनों तक पहुंच प्रदान की जाती है, जो उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में सहायक होती हैं।
महिलाओं का सशक्तिकरण NRLM के उद्देश्यों में से एक प्रमुख तत्व है। यह मिशन खाद्य उत्पादन, कृषि, और अन्य स्वरोजगार के क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देता है। स्वयं सहायता समूहों के निर्माण और संचालन के माध्यम से, महिलाओं को नेतृत्व कौशल और वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त होती है। यह न केवल उनके व्यक्तिगत विकास को प्रोत्साहन देता है, बल्कि उनके परिवार और समाज की समग्र भलाई में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में जीविका के अवसरों को बढ़ावा देने की दिशा में, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने अनेक रणनीतियों का अनुसरण किया है। कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प, और सूक्ष्म उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करके, यह मिशन ग्रामीण समुदायों को नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराता है। इन गतिविधियों के माध्यम से, ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक कौशल में प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है और वे आत्मनिर्भर बन पाते हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम और योजनाएं लागू की हैं। ये योजनाएं गरीबी को कम करने और ग्रामीण समुदायों की आजीविका को स्थिर एवं सशक्त बनाने के उद्देश्य से बनाई गई हैं।
इनमें से एक प्रमुख योजना स्वयं सहायता समूह (SHG) की स्थापना है। SHG के माध्यम से महिलाओं को संगठित किया जाता है, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने और आर्थिक गतिविधियों में शामिल होने का अवसर मिलता है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत इन समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जो उनको अपने छोटे व्यवसायों को शुरू करने और चलाने में मदद मिलती है। इससे न केवल महिलाओं का सशक्तिकरण होता है, बल्कि उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति भी सुधरती है।
इसी प्रकार, NRLM के तहत ‘आजिविका ग्राम संगठन’ की भी स्थापना की जाती है। यह संगठन गाँव की विभिन्न SHG को संगठित करके उनके बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देता है। इसके माध्यम से गाँव के लोग मिलकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के प्रयास करते हैं और साझे संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर सकते हैं।
इसके साथ ही ग्रामीण स्वरोज़गार प्रशिक्षण संस्थान (RSETIs) की योजना भी NRLM का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन संस्थानों के माध्यम से युवाओं को तकनीकी और व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए तैयार हो सकें। यह न केवल ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाता है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कई अन्य योजनाएं भी चल रही हैं, जैसे कि कौशल विकास, विपणन और कृषि आधारित परियोजनाएं। ये सभी योजनाएं समग्र रूप से ग्रामीण विकास में योगदान देती हैं और गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने में सहायता करती हैं। NRLM की इन कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण समुदायों में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास किया जा रहा है।
लाभार्थी समूह
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM), जिसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission) के नाम से भी जाना जाता है, का उद्देश्य भारतीय ग्रामीण समुदायों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान देना है। इस मिशन का प्रमुख फोकस स्वयं सहायता समूहों (SHGs), ग्रामीण महिलाओं, युवाओं, और जरूरतमंद परिवारों को शामिल करते हुए उनकी आजीविका सुधारना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
स्वयं सहायता समूह (SHGs) महिलाओं की सामूहिक शक्ति को बढ़ावा देकर उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करने में सहायक होते हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत, ये समूह कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जिससे वे विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में निवेश कर सकें और अपने परिवार की आय में इजाफा कर सकें। इस प्रकार, महिलाओं को न केवल आर्थिक संबल मिलता है, बल्कि उनके सामाजिक और मानसिक विकास की भी राह खुलती है।
ग्रामीण युवा भी इस मिशन के प्रमुख लाभार्थियों में शामिल हैं। यह मिशन उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करता है, जिससे वे स्थायी आजीविका के साधनों में सुधार कर सकते हैं। यह न सिर्फ उनके जीवनस्तर को सुधारता है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और समाजोपयोगी नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करता है।
इस मिशन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू गरीब परिवारों के आर्थिक सशक्तिकरण पर केंद्रित है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा इन परिवारों को वित्तीय सहायता, रोजगार गारंटी और अन्य समर्थन कार्यक्रम प्रदान किये जाते हैं। यह पहल उन्हें गरीबी की दुश्चक्र से बाहर निकलने का अवसर देती है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का वार्षिक लाभ लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता है और यह सुनिश्चित करता है कि जरूरतमंद समुदायों को आवश्यक समर्थन मिले। इसके माध्यम से लाखों परिवारों को गरीबी से मुक्ति और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्राप्त हुआ है।
कार्यन्वयन और वितरण प्रक्रिया
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) की कार्यन्वयन प्रक्रिया और वितरण तंत्र को विस्तार से समझने के लिए, विभिन्न स्तरों पर किए जाने वाले प्रयासों और उनके समन्वय को देखने की आवश्यकता होती है। NRLM, जिसे राज्यों में विभिन्न नामों से भी जाना जाता है, अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई प्रमुख क्रियाकलापों पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रमुख क्रियाकलापों में सबसे महत्वपूर्ण है स्व-सहायता समूहों (SHGs) का गठन। इन समूहों के माध्यम से महिलाओं को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और विभिन्न उद्यमों में नियोजित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, इनके लिए नियमित गतिविधियों जैसे समूह बैठकें, बचत-संग्रह और समुचित ऋण वितरण की व्यवस्था की जाती है।
कार्यक्रम की सफलता के लिए राज्य स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग अत्यंत आवश्यक है। राज्य मिशन प्रबंधन इकाई (SMMU) इस कार्य को निरंतर नजर में रखती है। SMMU, जिला मिशन प्रबंधन इकाई (DMMU) और ब्लॉक स्तर मिशन प्रबंधन इकाई (BMMU) को न केवल मार्गदर्शन प्रदान करती है, बल्कि समीक्षा और मूल्यांकन का भी कार्य करती है।
क्षेत्रीय अधिकारियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। कार्यक्रम के वितरण तंत्र में ये अधिकारी मुख्य कारक होते हैं जो SHGs, ग्राम संगठन (VOs), और क्लस्टर लेवल फेडरेशंस (CLFs) के साथ किसानों एवं अन्य हितधारकों के बीच पुल का काम करते हैं। वे जमीनी स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित करते हैं और लाभार्थियों की जरूरतों के अनुरूप संसाधन प्रदान करते हैं।
यह देखा गया है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की कार्यान्वयन प्रक्रिया और वितरण तंत्र बहुस्तरीय होते हुए भी आपस में समन्वयित होते हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर एक ग्रामीण परिवार को इसका अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके। यही समन्वय और कार्यप्रणाली इस मिशन को प्रभावी बनाते हैं।
वित्तीय सहायता और संसाधन
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के अंतर्गत ग्रामीण समुदाय को वित्तीय सहायता और विभिन्न संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं, जो उनकी आजीविका में सुधार और स्वावलंबन को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करना और उनके जीवन स्तर में सुधार करना है। इसके अंतर्गत ग्रामीण महिलाओं को विशेष रूप से संगठित किया जाता है और उन्हें स्व-सहायता समूहों में संगठित कर वित्तीय सहायता दी जाती है।
NRLM के तहत, विभिन्न वित्तीय संस्थान जैसे राष्ट्रीयकृत बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक ग्रामीण समुदाय को विभिन्न प्रकार के लोन और सब्सिडी प्रदान करते हैं। स्व-सहायता समूह (Self-Help Groups, SHG) को बैंक लिंकेज कार्यक्रम के तहत लोन दिया जाता है, जिससे वे छोटे-छोटे व्यापार और घरेलू उद्योग शुरू कर सकें। इन लोन की राशि का उपयोग ग्रामीण समुदाय अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कर सकते हैं, जैसे कि कृषि कार्य, पशुपालन, हस्तशिल्प, और छोटे-छोटे व्यवसाय।
इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत तकनीकी ज्ञान और कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए जाते हैं। इन सत्रों में भाग लेने वालों को आधुनिक तकनीकों और व्यापारिक प्रथाओं से परिचित कराया जाता है, जिससे वे अपने व्यवसाय को अधिक लाभकारी बना सकें। इसके साथ ही, कुछ मामलों में ग्रामीण समुदाय को इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स के लिए अनुदान भी दिया जाता है।
आरआरएलएम के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता और संसाधन ग्रामीण समुदाय की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मददगार साबित हुए हैं। इस पहल के माध्यम से, ग्रामीण परिवार अब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहे हैं और उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है।
सफलता की कहानियां
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत कई व्यक्तियों और समूहों की जीवन यात्रा में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है। इस मिशन ने न केवल उनके आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया है।
ग्राम पंचायत महरौली की राधा देवी का उदाहरण इस संदर्भ में प्रासंगिक है। राधा देवी और उनके समूह ने NRLM की सहायता से 2018 में एक सिलाई केंद्र शुरू किया। पहले उनके पास पूंजी की कमी थी और परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। NRLM द्वारा दिए गए ऋण और प्रशिक्षण ने उन्हें आवश्यक धन और कौशल प्रदान किए, ताकि वे अपना व्यवसाय शुरू कर सकें। आज, उनके सिलाई केंद्र से 20 से अधिक महिलाएं रोजगार पा रही हैं और अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं।
दूसरा उदाहरण उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले का है, जहां के किसान समूह ने NRLM के अंतर्गत जैविक खेती की शुरुआत की। इस समूह ने जैविक खेती की उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकों का प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिससे उनके उत्पाद की मांग में वृद्धि हुई और उनके आय में तीन गुणा इजाफा हुआ। इस सफलता ने अन्य किसानों को भी जैविक खेती के प्रति प्रेरित किया और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए।
एक अन्य महिला समूह, जो पहले दस्तकारी में कुशल था, उन्हें NRLM द्वारा बाजार अनुसंधान और विपणन कौशल की जानकारी दी गई। इससे उन्हें अपने उत्पादों को शहरों में बेचने का मौका मिला। अब वह समूह न केवल स्थानीय बाजार में, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी अपने उत्पाद बेचता है, जिससे उनका मुनाफ़ा तीन गुणा बढ़ चुका है।
ये सभी कहानियां स्पष्ट करती हैं कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission, Rashtriya Gramin Ajivika Mission) ने वस्तुत: ग्रामीण आबादी की आजीविका और आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह अन्य ग्रामीणों को प्रेरित करता है कि वे भी मिशन के अंतर्गत आकर अपने जीवन में सुधार कर सकते हैं और अपने समुदाय को सशक्त बना सकते हैं।
भविष्य की योजनाएं और चुनौतियां
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) की भविष्य की योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक विकास को और भी मजबूत बनाने की योजना बनाती हैं। मिशन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं और कमजोर समुदायों को सशक्त बनाना है ताकि वो आत्मनिर्भर बन सकें और उनकी आजीविका के साधन सुनिश्चित हो सकें। आने वाले समय में, NRLM का लक्ष्य है कि प्रत्येक गाँव में कम से कम एक स्व-सहायता समूह (SHG) की स्थापना हो और उनकी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए। इसके तहत वर्तमान योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने पर जोर दिया जाएगा, और नयी तकनीकों और नवाचारों को भी शामिल किया जाएगा।
हालांकि, इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में कई चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है ग्रामीण क्षेत्र की अशिक्षा और तकनीकी समझ की कमी। लोग अक्सर नई तकनीकों और व्यवसायिक योजनाओं को जल्दी अपनाने में हिचकिचाते हैं। इसके अलावा, आर्थिक संसाधनों की कमी और वित्तीय सहायता के अभाव में मिशन की योजनाओं को पाना भी मुश्किल होता है। इस संदर्भ में, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission) की पहल जैसे कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों, शिक्षा अभियानों और बैंक लिंकेज कार्यक्रमों को अधिक मजबूत करना आवश्यक होगा।
इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी सुविधाओं की भी आवश्यकता है ताकि NRLM के उद्देश्यों को ठोस और स्थायी बनाया जा सके। सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना और सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से अधिक से अधिक सहायता प्रदान करना, मिशन की सफलता के लिए आवश्यक है। इन चुनौतियों के समाधान और नवाचारों के एकीकरण से NRLM ना केवल ग्रामीण आजीविका में सुधार ला सकता है बल्कि समग्र ग्रामीण विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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